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    विज्ञान भैरव तंत्र - विधि 45

    विज्ञान भैरव तंत्र - विधि 45

    ["अः से अंत होने वाले किसी शब्द का उच्चार चुपचाप करो . और तब हकार में अनायास सहजता को उपलब्ध होओ ."]


    कोई भी शब्द जिसका अंत अः से होता है , उसका उच्चार चुपचाप करो . शब्द के अंत में अः के होने पर जोर है . क्यों ? क्योंकि जिस क्षण तुम अः का उच्चार करते हो , तुम्हारी सांस बाहर जाती है . तुमने खयाल नहीं किया होगा , अब खयाल करना कि जब भी तुम्हारी सांस बाहर जाती है , तुम ज्यादा शांत होते हो और जब भी सांस भीतर जाती है , तुम ज्यादा तनावग्रस्त होते हो . कारण यह है कि बाहर जाने वाली सांस मृत्यु है और भीतर आने वाली सांस जीवन है . तनाव जीवन का हिस्सा है , मृत्यु का नहीं . विश्राम मृत्यु का अंग है ; मृत्यु का अर्थ है पूर्ण विश्राम . जीवन पूर्ण विश्राम नहीं बन सकता , वह असंभव है . जीवन का अर्थ है तनाव , प्रयत्न ; सिर्फ मृत्यु विश्रामपूर्ण है .


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