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    विज्ञान भैरव तंत्र - विधि 103

      [ " अपनी सम्पूर्ण चेतना से कामना के , जानने के आरंभ में ही , जानो . " ]


    इस विधि के संबंध में मूल बात है ' सम्पूर्ण चेतना ' . यदि तम किसी भी चीज पर अपनी सम्पूर्ण चेतना लगा दो तो वह एक रूपांतरणकारी शक्ति बन जाएगी . जब भी तुम सम्पूर्ण होते हो , किसी चीज में भी , तभी रूपांतरण होता है . लेकिन यह कठिन है , क्योंकि हम जहां भी हैं , बस आंशिक ही हैं , समग्रता में नहीं हैं . तो जब भी कुछ करो , उसमें अपने पूरे प्राण डाल दो . जब तुम कुछ भी नहीं बचाते , छोटा सा हिस्सा भी अलग नहीं रहता , जब तुम एक समग्र , सम्पूर्ण छलांग ले लेते हो , तुम्हारे पूरे प्राण उसमें लग जाते हैं , तभी कोई कृत्य ध्यानपूर्ण होता है


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