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    विज्ञान भैरव तंत्र - विधि 88

    [ " प्रत्येक वस्तु ज्ञान के द्वारा ही देखी जाती है . ज्ञान के ही द्वारा आत्मा क्षेत्र में प्रकाशित होती है . उस एक को ज्ञाता और ज्ञेय की भांति देखो . " ]


    जानने की घटना को तीन बिंदुओं में बांटा जा सकता है : ज्ञाता ,ज्ञेय  और ज्ञान . ज्ञान दो बिंदुओं के बीच , ज्ञाता और ज्ञेय के बीच सेतु की भांति है . सामान्यतः तुम्हारा ज्ञान सिर्फ ज्ञेय को , विषय को प्रकट करता है ; और ज्ञाता , जानने वाला अप्रकट रह जाता है . सामान्यतः तुम्हारे ज्ञान में एक ही तीर होता है ; वह तीर गुलाब की तरफ तो जाता है , लेकिन वह कभी तुम्हारी तरफ नहीं जाता .  और जब तक वह तीर तुम्हारी तरफ भी न जाने लगे तब तक ज्ञान तुम्हें संसार के संबंध में तो जानने देगा , लेकिन वह तुम्हें स्वयं को नहीं जानने देगा . ध्यान की सभी विधियां जानने वाले को प्रकट करने की विधियां हैं . जार्ज गुरजिअफ़ इसी तरह की एक विधि का प्रयोग करता था . वह इसे आत्म-स्मरण कहता था . उसने कहा है कि जब तम किसी चीज को जान रहे हो तो सदा जानने वाले को भी जानों . उसे विषय में मत भुला दो ; जानने वाले को भी स्मरण रखो .


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