सही और गलत, सब कुछ निर्भर करता है भीतर की अभीप्सा पर- ओशो
सही और गलत, सब कुछ निर्भर करता है भीतर की अभीप्सा पर- ओशो यह तो बचपन की पहली घटना मलूकदास के संबंध में ज्ञात है कि वे कूड़ा-कचरा राम् तों...
सही और गलत, सब कुछ निर्भर करता है भीतर की अभीप्सा पर- ओशो यह तो बचपन की पहली घटना मलूकदास के संबंध में ज्ञात है कि वे कूड़ा-कचरा राम् तों...
जहां हिंदू है, जहां मुसलमान है, जहां ईसाई है, वहां धर्म कहाँ है?- ओशो मैंने तो सुना है, जव जुगलकिशोर बिड़ला मरे.. मेरे परिचित थे। मुझसे भ...
पुकार सच्ची होगी तो एक ही बार में पहुंच जाएगी - ओशो बंगाल में एक बहुत बड़ा वैयाकरण हुआ। कभी मंदिर नहीं गया। उसके पिता बूढ़े होने लगे थे, नब...
मृत्यु में समाधि का फूल खिलता है- ओशो "इसलिए मैं निरंतर कहता हूं कि मेरे संन्यासी को जुआरी होने की क्षमता चाहिए, साहस चाहिए। अहंकार क...
मेरे संन्यास की नव धारणा - ओशो मैं उस संन्यास के पक्ष में नहीं हूं। मेरे संन्यास की नव धारणा है। नया प्रत्यय है मेरा संन्यास । जहां हो, ज...
भौतिकवाद और आध्यात्मवाद विपरीत नहीं हैं - ओशो आत्मा और शरीर में कितना सहयोग है, गौर से देखो तो! तो भौतिकवाद और आध्यात्मवाद विपरीत नहीं हो...
भौतिकवाद आध्यात्मवाद का अनिवार्य चरण है - ओशो "पश्चिम में जहां चीजें बहुत बढ़ गई हैं उनको तुम कहते हो भौतिकवादी लोग। सिर्प इसीलिए कि उ...
कोई आदमी विश्वास करने से धार्मिक नहीं हो सकता - ओशो तीसरा सूत्र आपसे कहना चाहता हूं: अब तक, आज तक की हमारी सारी विचारणा इस बात को मान कर चल...
हिचकी - ओशो मैंने सुना है, एक डाक्टर के दफ्तर में--हो सकता है अजित सरस्वती हों; अब छिपाना क्या, अब बता ही देना ठीक है--एक महिला भ...
अगर भारत को धार्मिक बनाना है, तो एक स्वस्थ शरीर की विचारणा धर्म के साथ संयुक्त करनी जरूरी है - ओशो लेकिन हमने हजारों साल में एक धारा विकसि...
पंडितों के पास धर्म नहीं होता, सिर्फ धर्म की बकवास होती है - ओशो विनम्रता तो अहंकार पर लीपापोती है। विनम्रता तो अहंकार को सजावट...
कोई बुद्धिमान आदमी कभी किसी का अनुयायी नहीं बनता - ओशो जो आदमी भी किसी का अनुयायी बनता है, वह आदमी पहली तो बात है खतरनाक है, डेंजरस है। क्य...