सिद्धार्थ उपनिषद Page 66
सिद्धार्थ उपनिषद Page 66
(250)
शिव जी जब अवतार लेते हैं तब वही शक्ति तत्व में बंट जाते हैं. शिव-शक्ति.
मानसरोवर में मेरा जब उनसे encounter हुआ, तो मैंने उनसे पूंछा- मैंने कहा मेरे पेट में बहुत भयानक दर्द है, और मैंने सुना है आप इधर ही कहीं रहते हो. मै इस पेट की भीषण यंत्रणा से गुजर रहा हूँ. यह रात्रि अब अंतिम रात्रि है, कालरात्रि है. अगर आप हो तो अभी दर्शन दो, कुछ करो. मैंने तुरत देखा कि एक प्रकाश की ज्योति, चन्द्रमा की तरह पेट के ऊपर घूमने लगी. मैंने कहा आप कौन हो ? उन्होंने कहा मैं शिव-शक्ति हूँ. मैंने कहा शिव-शक्ति ! मैं समझा नहीं कि शिव भी और शक्ति भी. उन्होंने कहा बाद में तुम समझोगे. मै तुमको हील करने आया हूँ. और मेरे पेट के ऊपर 2-3 मिनट वे चक्कर काटते रहे, और मेरा पेट दर्द बिलकुल ठीक हो गया. लेकिन मन बड़ा हरामी है. मीरा कहती है- ' मेरो मन बडो हरामी.' मैंने कहा सुबह तक मेरा पेट दर्द ठीक रहा तो मानूंगा.और वो पेट दर्द आज तक फिर कभी नहीं हुआ. मानसरोवर में डिजिटल कैमरे से ली गई उनकी फोटो को जब तुम देखोगे, तो तुम उनमें जो छवि देखना चाहो देख सकते हो. असली जो शिव का रूप है वो एक है. लीला करने के लिए कभी वे दो रूप में बंट जाते हैं. बस ऐसा सत्य को समझो.