सिद्धार्थ उपनिषद Page 38
सिद्धार्थ उपनिषद Page 38
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नाद के श्रवण और सुमिरन में भेद है. नाद को सक्रिय(active) होकर सुनना श्रवण है, जबकि उसे निष्क्रिय(passive) होकर सुनना सुमिरन है. श्रवण से भी अनिद्रा की बीमारी हो सकती है, जबकि सुमिरन मीठी नींद में ले जाता है.
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गीत गाने से उमंग पैदा होती है. जिस परिवार के सदस्य मिलजुल कर प्रतिदिन गीत गाते हैं, उस परिवार में कलह नहीं होती और उमंगपूर्ण माहौल बना रहता है. मैं चाहता हूं कि 'प्रेम गीता' की ५-५ प्रतियाँ प्रत्येक परिवार में रहे. आने वाले मेहमानों से पर निंदा, पर चर्चा करने की जगह उन्हें साथ बिठाकर गाना गवाएं, तो समय का बेहतर सदुपयोग होगा.
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अध्यात्म का आधार अहोभाव है. संसारी वह है जो शिकायत में जीता है. साधक वह है, जो अहोभाव की यात्रा पर निकल पड़ा है. वस्तुतः अध्यात्म शिकायत से अहोभाव की यात्रा है. इस यात्रा के चार चरण हैं- १.प्रेम (अहोभाव + देने का भाव), २. सेवा (अहोभाव + कर्म), ३. प्रार्थना (अहोभाव + धन्यवाद), और ४. सुमिरन (अहोभाव + हरि स्मरण).