निद्रा और समाधि
निद्रा और समाधि
निद्रा है समाधी, समाधी है निद्रा. तीन तरह की निद्रा होती है.
1.संसारी की निद्रा [समाधी].
2.ध्यानी की निद्रा [समाधी].
3.संत की निद्रा [समाधी].
संसारी विचारों के सुमिरण के साथ निद्रा में प्रवेश करता है, यह निक्र्स्ता समाधि है. जैसे-जैसे हम ध्यान करते है. वैसे-वैसे सून्य गहराता है, शून्य से हमारा सम्बन्ध बनने लगता है.ेऐसा ध्यानी सून्य के सुमिरन के साथ निद्रा [समाधी] में प्रवेश करता है,यह श्रेस्ठ समाधी है.
कामिल मुर्शिद से जब हमें ओमकार का दान मिलता है और जितना हम उसको सिमरते है, उतना-उतना हम उससे एक हो जाते है,और जब हम ओमकार के सुमिरण के साथ निद्रा में प्रवेश करते है तो यही समाधि परम-श्रेष्ठ तथा भगवत्तमैः होती है.यह संतों की निद्रा है,यह संतो की समाधी है.